साबरमती के संत
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
आंधी में
भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती
के संत तूने कर दिया कमाल
धरती पे
लड़ी तूने अजब ढब की लड़ाई
दागी न
कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के
किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे
फकीर खूब करामात दिखाई
चुटकी में
दुश्मनों को दिया देश से निकाल
साबरमती
के संत तूने कर दिया कमाल
शतरंज
बिछा कर यहां बैठा था ज़माना
लगता था
कि मुश्किल है फिरंगी को हराना
टक्कर थी
बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था दाना
पर तू भी
था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
मारा वो
कस के दांव कि उल्टी सभी की चाल
साबरमती
के संत तूने कर दिया कमाल
जब जब
तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मजदूर चल
पड़े थे और किसान चल पड़े
हिन्दू व
मुसलमान सिख पठान चल पड़े
कदमों पे
तेरे कोटि कोटि प्राण चल पड़े
फूलों की
सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
साबरमती
के संत तूने कर दिया कमाल
मन में थी
अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में
घूमता था लिये सत्य की सोंटी
वैसे तो
देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
लेकिन
तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी
दुनियां
में तू बेजोड़ था इंसान बेमिसाल
साबरमती
के संत तूने कर दिया कमाल
जग में
कोई जिया है तो बापू तू ही जिया
तूने वतन
की राह में सबकुछ लुटा दिया
मांगा न
कोई तख्त न तो ताज ही लिया
अमृत दिया
सभी को मगर खुद ज़हर पिया